नयी सोच

लीक पर वे चलें जिनके
चरण दुर्बल और हारे हैं
             हमें तो जो हमारी यात्रा से बने
             ऐसे अनिर्मित पन्थ प्यारे हैं
साक्षी हों राह रोके खड़े
पीले बाँस के झुरमुट
           कि उनमें गा रही है जो हवा
           उसी से लिपटे हुए सपने हमारे हैं
               

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